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लेखनी प्रतियोगिता -09-Oct-2022 हाउसवाइफ नहीं सी एम डी

प्रेम की देवी ममता की मूरत 
वात्सल्य का सागर मोहिनी सूरत 
करुणा से भरपूर संवेदनशील 
लाज की पहरेदार विनम्र सुशील 
मितव्ययी सर्वश्रेष्ठ प्रबंधक 
अंतर्यामी सब दुख भंजक 
नारी तेरे रूप अनेक 
हर रूप में तू लगती है नेक । 

दिन में दामिनी रात में रागिनी 
सुबह सुनंदा शाम को शारदा 
सोम को सोमा मंगल को मंगला 
बुध को बुधिया गुरू को गीता 
शुक्र को शशि शनि को शैलजा 
रवि को रति रूप धर लेती 
ये हाउसवाइफ होती हैं जनाब, जल जैसी 
हर जगह जरूरत के हिसाब से एडजस्ट कर लेती 

किससे क्या लेना है किसको क्या देना है 
हर चीज का हिसाब दिमाग में रहता 
किसने कब क्या कहा कब क्या सुना 
समय पर सूद सहित वह करती चुकता 
रावण के तो बीस हाथ ही थे बस 
इसके हाथों की गिनती कौन कर सकता 
ये हाउसवाइफ नहीं हो सकती, महाशय 
मैं तो इन्हें सी एम डी ही कहता । 

श्री हरि 
9.10.22 

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7 Comments

Suryansh

11-Oct-2022 06:23 PM

बहुत ही उम्दा और सशक्त लेखन,,, औरत के यथार्थ को शब्दों का खूबसूरत आवरण दिया है

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Pratikhya Priyadarshini

10-Oct-2022 07:53 PM

Bahut khoob 🌺👍

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Sachin dev

09-Oct-2022 06:38 PM

Nice 👌

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